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बच्‍चों के मामले में इन 5 चीजों पर गौर करते हैं जापानी पैरेंट्स

बच्चे की परवरिश उसके बारे में सब कुछ बता देती है। भारत में सभी माता-पिता अपने बच्चे की परवरिश अच्छे से ही करते हैं, लेकिन आप चाहें, तो जापानी माता-पिता से पैरेंटिंग के कुछ गुर सीखकर इसमें महारत हासिल कर सकते हैं। यहां बताई गई 5 चीजों से आप अनुमान लगा सकते हैं कि जापानी माता-पिता अपने बच्चे को वास्तव में बहुत अलग तरह से डील करते हैं।


पैरेंटिंग एक बहुत ही कठिन काम है। इसके लिए खूब धैर्य और प्रयास की जरूरत होती है। हर माता-पिता अपने बच्चे की परवरिश बहुत अच्छे से करना चाहते हैं, ताकि आगे चलकर वह एक अच्छा इंसान बन सके। कई बार तो पैरेंट्स खीझ उठते हैं। लेकिन ये पैरेंट्स की ही जिम्‍मेदारी है कि वो बच्चे को सही रास्ता दिखाएं। देखा जाए, तो आज के समय में एक खुश, स्वस्थ और बुद्धिमान बच्चे की परवरिश करना किसी कला से कम नहीं है। वैसे आप चाहें, तो जापानी माता-पिता से पैरेंटिंग के कुछ गुर सीखकर इसमें महारत हासिल कर सकते हैं।

Photo Credit: istock

जी हां, अगर ऐसा कोई देश है, जिससे दुनियाभर में पैरेंटिंग के लिए प्रेरणा ली जा सकती है वह है जापान। जापानी बच्चे चाहे किसी भी उम्र के हों, अपने आप में अद्भुत होते हैं। उनका एक निश्चित व्यवहार होता है, जो उन्हें दूसरे बच्चों से अलग बनाता है। एक नियम के रूप में वे विनम्र और मिलनसार होते हैं। आप शायद ही कभी किसी बच्चे को जापान की सड़कों पर रोता हुआ देखेंगे। ऐसा नजारा वहां बहुत दुलर्भ होता है। यह सब जापानी पैरेंटिंग का तरीका है, जो आपको दुनिया में कहीं और देखने को नहीं मिलेगा। यहां हम आपको ऐसी पांच चीजों के बारे में बता रहे हैं, जो जापानी पैरेंट्स अपने बच्चों की परवरिश के लिए करते हैं।


​पालन-पोषण समान रूप से होता है

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यहां बच्चे अपनी क्लास की सफाई करते हैं, भले ही वह किसी भी परिवार से क्यों न हों। जापान में बच्चों को शुरू से ही समानता का पाठ पढ़ाया जाता है। इस देश में अमीर और गरीब बच्चे एक ही स्कूल में पढ़ते और एक्टिविटीज में एकसाथ हिस्सा लेते हैं। यहां पर पैरेंट्स बच्चों को व्यक्तिगत फायदों को छोडना सिखाते हैं। इस प्रकार वे समाज में एकसाथ रहने और समानता के जरूरी मूल्यों को सीखते हैं।


​मां-बच्चे का रिश्ता काफी मजबूत होता है

Photo Credit : istock

जापानी संस्कृति में परिवार की बहुत अहमियत होती है। यहां मां बच्चे का रिश्ता एक अलग ही तरह का होता है। जब बच्चा छोटा होता है तो मां उसके पालन-पोषण पर बहुत ध्यान देती है। अध्ययनों से पता चलता है कि जो बच्चे सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ बड़े होते हैं, उनमें बड़े होने पर समस्या से ग्रसित रहने का जोखिम बहुत कम होता है। इस देश की माओं को विशेष रूप से बच्चों के साथ समय बिताने की सलाह दी जाती है। सबसे अच्छी बात यह है कि यहां बच्चे को 3 साल से पहले किंडरगार्टन नहीं भेजा जाता। इसलिए बच्चा ज्यादा से ज्यादा समय अपनी मां के साथ बिता पाता है।


बच्चों के इमोशंस पर ध्यान देते हैं

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बच्चों की मानसिक और भावनात्मक स्थिति पर ध्यान देना उनके शारीरिक गुणों जितना ही जरूरी है। जापानी पैरेंट्स इसे बखूबी समझते हैं। वे जानते हैं कि एक बच्चे को डांटने के साथ उसे अपनी गलती का अहसास कराना भी जरूरी है, लेकिन इसके लिए कठोर तरीका नहीं अपनाना चाहिए, क्योंकि इससे बच्चे के मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पर गलत असर पड़ता है। वे बच्चों को बेहद प्यार और सम्मान के साथ डील करना जानते हैं।


​सार्वजनिक रूप से बच्चों की तारीफ न करना

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हम भारतीय माता-पिता अपने बच्चों की तारीफ लोगों के सामने करना पसंद करते हैं। लेकिन शायद ही किसी ने जापानी माता-पिता को सार्वजनिक रूप से बच्चों की प्रशंसा करते हुए देखा होगा। वे अपने बच्चों को स्वतंत्र होना सिखाते हैं और जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहन के शब्दों की अपेक्षा नहीं करते।


​सबसे हेल्‍दी होते हैं

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एक सर्वे में पता चला कि जापानी बच्चे दुनिया के स्वस्थ बच्चों में से एक हैं। जापानी बच्‍चों का स्‍कूल लंच काफी दिलचस्‍प होता है।






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